
देहरादून। उत्तराखंड में कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के संस्थापक नेताओं में से एक और केंद्रीय कंट्रोल कमीशन के अध्यक्ष कामरेड राजा बहुगुणा का 28 नवंबर 2025 को दिल्ली में निधन हो गया। वे लंबे समय से लिवर कैंसर से जूझ रहे थे। पार्टी और कार्यकर्ताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और कहा कि उनका जीवन मेहनतकश जनता और उनके अधिकारों की लड़ाई को समर्पित रहा।
राजा बहुगुणा का राजनीतिक सफर नैनीताल से शुरू हुआ। शुरुआत में उनका जुड़ाव युवा कांग्रेस से था, लेकिन 1970 के दशक में उन्होंने आपातकाल विरोधी आंदोलन और वन आंदोलन (चिपको आंदोलन) से खुद को जोड़ा। इसके बाद वे उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी और किसानों-मजदूरों, पर्यावरण और रोजगार से जुड़े आंदोलनों में सक्रिय रहे।
1980 के दशक में वे भाकपा (माले) से जुड़े और उत्तराखंड में पार्टी की स्थापना में अग्रणी भूमिका निभाई। राज्य निर्माण आंदोलन में उनका योगदान बेहद महत्वपूर्ण था। उन्होंने नैनीताल में विशाल रैली आयोजित की और पृथक उत्तराखंड राज्य के भविष्य के लिए पुस्तिका लिखी।
राजा बहुगुणा ने कई संगठनात्मक जिम्मेदारियाँ निभाईं। उन्होंने उत्तराखंड पीपल्स फ्रंट और इंडियन पीपल्स फ्रंट में नेतृत्व किया। बिंदुखत्ता में भूमिहीनों के लिए भूमि वितरण और तराई में महिला उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलनों का नेतृत्व भी उनके नाम है। जनता के आंदोलनों में पुलिस दमन, जेल और लाठी का सामना उन्होंने बहादुरी से किया।
1989 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा। 1990 के दशक तक उनकी अगुवाई में पार्टी उत्तराखंड के हर हिस्से में सक्रिय रही। वे पार्टी के उत्तराखंड राज्य सचिव, केंद्रीय कमेटी सदस्य, ट्रेड यूनियन एक्टू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और एआईपीएफ की केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे। 2023 में पटना में हुए 11वें पार्टी महाधिवेशन में उन्हें केंद्रीय कंट्रोल कमीशन का अध्यक्ष चुना गया।
कामरेड राजा बहुगुणा की निधन की खबर से उत्तराखंड के राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों में गहरा शोक फैल गया है।









