
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में आई भीषण आपदा को एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन अब भी राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी है। मलबे में दबे लोगों की तलाश में सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और जिला प्रशासन की टीमें लगातार जुटी हुई हैं। खराब मौसम के बावजूद रेस्क्यू कार्यों में कोई ढील नहीं दी गई है। अत्याधुनिक उपकरणों, ड्रोन और खोजी कुत्तों की मदद से तलाशी अभियान को तेज किया गया है।
आपदा के चलते सड़क मार्ग बाधित होने से ग्रामीण क्षेत्रों तक सहायता पहुँचाना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। ऐसे में घोड़े-खच्चरों की मदद से राशन सामग्री और अन्य जरूरी वस्तुएं प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचाई जा रही हैं। साथ ही समेश्वर देवता मंदिर में आपदा पीड़ितों के लिए सामूहिक भोजन की व्यवस्था की गई है।
आपदा के छह दिन बाद बचाव दलों ने मलबे में फंसे लोगों की खोज एक बार फिर शुरू कर दी है। सेना और नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (NIM) की टीमें रेको डिटेक्टर मशीन के जरिए गहराई से मलबे की तलाशी ले रही हैं। अब तक करीब 50 लोगों के लापता होने की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें बिहार और उत्तर प्रदेश से आए कई प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं।
गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं धराली पहुंचे और दो दिन तक राहत व बचाव कार्यों की निगरानी की। उन्होंने कहा “मैं भी बीते 3-4 दिनों से यहां मौजूद हूं। सभी प्रभावितों को आवश्यक राहत सामग्री और धनराशि पहुंचाई जा चुकी है,” ।
मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है, जिसे आज प्रभावित परिवारों को वितरित किया जा रहा है। विधायक ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुख्यमंत्री से नियमित संपर्क में हैं और हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
फिलहाल, धराली को दोबारा बसाने और सड़क मार्गों को खोलने की दिशा में युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है। बचाव टीमें कठिन भू-परिस्थितियों और लगातार बदलते मौसम के बीच मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटी हैं। प्रशासन का प्रयास है कि जल्द से जल्द सभी लापता लोगों का पता लगाया जाए और प्रभावितों को सुरक्षित पुनर्वास उपलब्ध कराया जाए।